आशा एक———–
विविध प्रकाशों की किरण है
अंधकार से नहीं तुलना इसकी
अधीनता नहीं स्वीकार इसे
स्वतंत्र आत्मा की ध्वनि सुनी
सारांश है जीवन का यही
प्रेम के दीपक को जलाना है
बदल गई सभी परिभाषाएँ
जाग गई हमारी आशाएं
हमारी स्वर्णिम राहों में अब
रोशन हो दीपक जलते है
जिज्ञासा है मन में फिर भी
मस्तिष्क जो कहे, समझते है
ह्रदय की गहराई के अंदर
पहले स्वयं की परखेंगे
असंख्य है मन की अभिलाषाएं
जाग गई हमारी आशाएं
विस्मित व्यवहार की प्रतिक्रिया
स्वभाव में परिवर्तन लाती है
विचारों की गतिशीलता में
विभिन्न निर्णयों की पंक्ति आती है
उत्सुकता तो है हृदय में फिर भी
पहले अंतर्मन को समझना है
शांत हो उठी सारी निराशाएं
जाग गई हमारी आशाएं
दुर्गम आवाजे पास आएगी
जब हम मंजिल पर पहुंचेंगे
सुर ताल की पहचान बनेगी
जब ध्वनित तरंगों को सुनेंगे
स्वच्छंद पवन मंद – मंद लहराएगी
जब वातावरण को खुशहाल करेंगे
जन्म लेगी अगणित भाषाएँ
जाग गई हमारी आशाएं