श्रद्धा के सुसज्जित सौरभ से गुंजायमान
उनके आशीष की कीर्ति का कोई विकल्प नहीं।
शाश्वत मृत्यु के अडिग सत्य को अर्थपूर्ण जीवन
अपनी गरिमा से और भी गर्वित कर देता है।
ये देह नश्वर है सबको ज्ञात है परन्तु
फिर भी तृष्णाओं का अम्बार लगा हुआ है,
आखिर किस कारण इस मिटटी के तन का इतना अहंकार है
क्या इसीलिए कि बड़ी बड़ी इमारतों में लोहे के सरिये हैं!
या इसलिए कि तुमने ब्रह्माण्ड का रहस्य जान लिया,
चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी का पता लगा कर क्या सिद्ध करना है
क्या उल्कापिंडों की जानकारी से स्वयं को ब्रह्म समझ रहे हो
क्या इसलिए इतना दम्भ है कि नयी नयी
तकनीक और विधाएँ सीख कर स्वयं
विश्व में सम्मान चाहते हो,
कब तक ये प्राप्त करने लालसा जगी रहेगी।
तुम क्या मैं भी स्वयं प्रशंसा का भूखा हूँ,
परन्तु इतना ध्यान रहे कि उपलब्धि, सुख दुःख, विलासिता,
ख्याति, अपमान, द्वेष, ईर्ष्या, कर्म,
सत्कर्म सबकी गणना हो चुकी है।
अभिमान मस्तिष्क में तब तक निवास करता है
जब तक वो मस्तक ईश्वर के
चरणों में समर्पित नहीं हो जाता।
बड़े बड़े राजा, धुरंधर, शक्तिशाली,
दमनकारी, अधिनायकवादी, परोपकारी,
और कितने ही असंख्य प्राणियों का जीवाश्म
एक अग्निज्योति में सम्मिलित हो जाता है,
गुण अवगुण, भला बुरा, नायक खलनायक सब यहीं है,
मेरी आत्मा इन सब से परे है।
समसामयिक कालखंड में मैं अपने
दिवंगत पुण्यात्माओं को स्मरण कर रहा हूँ
और तर्पण दे रहा हूँ।
संम्भवतः इस तर्पण सानिध्य में मैं अपने अहंकार को
तिलांजलि दे पाऊं तो मेरा श्रद्धा से उत्पन्न श्राद्धकर्म
सफल हो जाए, नहीं तो
मृत्यु के समय तो मेरा स्वयं ही तर्पण हो जाएगा।
कठिन शब्द और उनके अर्थ:
सुसज्जित: अच्छी तरह सजाया हुआ
सौरभ: सुगंध, महक
तृष्णा: प्यास, इच्छा या आकांक्षा
गुंजायमान: गूँजता हुआ
आशीष: आशीर्वाद
कीर्ति: यश, प्रसिद्धि, ख्याति
शाश्वत: जो कभी ना खत्म हो, जिसे कभी कोई मिटा ना सके
अडिग: अटल, अपनी प्रतिज्ञा या प्रण से पीछे न हटनेवाला
गरिमा: मान-मर्यादा, सम्मान
गर्वित: गर्वयुक्त
नश्वर: नाश होनेवाला
अम्बार: ढेर
उल्कापिंड: आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में ‘टूटते हुए तारे’ कहते हैं।
दम्भ: घमंड, अहंकार, प्रतिष्ठा के लिए झूठा आडंबर, पाखंड
लालसा: इच्छा, चाह, उत्सुकता
प्रशंसा: तारीफ़, बड़ाई, गुणों का बखान
विलासिता: सुखभोग की अनुरक्तता, रईसी
सत्कर्म: अच्छा या शुभ काम
दमनकारी: उत्पीड़न करने वाला व्यक्ति
अधिनायकवादी: वह शासन प्रणाली है जिसमे एक व्यक्ति अथवा कुछ विशिष्ट लोगो के समूह द्वारा राज्य की सम्पूर्ण शक्तिओ का उपयोग किया जाता है
धुरंधर: श्रेष्ठ, प्रधान, मुख्य
जीवाश्म: खोदकर प्राप्त की गई वस्तु
अग्निज्योति: अग्नि की ज्योति
समसामयिक: समकालीन; वर्तमान समय का
कालखंड: अवधि, समय का कोई अंश
दिवंगत: जो मर चुका हो, स्वर्गवासी
पुण्यात्मा: पुण्य करने वाला या जो पुण्य करता हो या जिसकी प्रवृत्ति पुण्य करने की हो
तर्पण: तृप्त करने की क्रिया
तिलांजलि: परित्याग, हमेशा के लिए साथ छोड़ना, सदा के लिए किसी व्यक्ति, वस्तु आदि को त्याग करने का संकल्प