कोई फर्क नहीं पड़ता
पहले लगता था कि कोई नाराज़ है यकीन मानो अब कोई फर्क नहीं पड़ता। दिल
पहले लगता था कि कोई नाराज़ है यकीन मानो अब कोई फर्क नहीं पड़ता। दिल
उठ! क्यों हो रहा है निराश अब मत हो तू इतना हताश जीवन अभी बहुत
राम मन में हैं मेरे राम जीवन हैं मेरे राम की महिमा निराली राम नस
मौत की दस्तक का ऐसा है आलम कि फूली हुई सांस का जायजा लिया जाए।
मैं दूर गई यादों की झांकी को बताना चाहता हूं मैं कहानी कहना चाहता हूं
कभी कुछ सोंचूं तो याद बह जाती है मेरे सिरहाने में आने से नींद कतराती
ये धूप चटक होती है यूं सर्द गरम होती है अब शाम की फुहारों में
बिखरा – बिखरा सब हिल गया है टुकड़ा टुकड़ा मेरा दिल हुआ है सपनो के
कुछ अधपकी उम्मीदों को हथेली में रखकर आया है इस गली में कोई इतने दिनों