बेमन की नौकरी
रोज सुबह घर से बेमन निकलता हूं गाड़ियों के धुएं और धूप में झुलसता हूं
रोज सुबह घर से बेमन निकलता हूं गाड़ियों के धुएं और धूप में झुलसता हूं
दिल के कोने में कुछ एहसास आज भी बाकी है कुछ ख्वाबों के मुकम्मल होने
मिली है जो ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है, ख्वाहिशों से भरी हमारे दिल की मासूमियत है,
सपनो का एक अलग मुकाम होगा तेरी ज़िंदगी मे नया आसमान होगा कौन होगा जो
वो रास्ते, वो मंजिले, वो मुक़द्दर कहाँ, पहले जैसे अब कोई काफिले कहाँ, वो नूर,
पुराने दिनों में जहाँ यादें बसती हैं, जहां अतीत की फुसफुसाहट हमेशा के लिए सरक
ये इश्क़ भी बड़ा अजीब है जो दिल से दूर है उसके करीब है वो
मुकम्मल भी हुआ तो क्या हुआ ये इश्क़ है अपनी नादानी कहां छोड़ता है कभी