बड़ी कोशिश की कि उसका जेहन सुधर जाए
बड़ी कोशिश की कि उसका जेहन सुधर जाए मगर उसे तो सब पर तोहमत लगाना
बड़ी कोशिश की कि उसका जेहन सुधर जाए मगर उसे तो सब पर तोहमत लगाना
ये किस्से तो कुछ अपने लगते हैं दूर बैठे जब वो हँसने लगते हैं रात
एक शाम बोझिल हुई एक रात भी बुझ गयी ये ज़िंदगी भी ना जाने क्यूँ
माहौल ख़ौफज़दा है और आँखें हिकारत करती है बेइंसाफी के दौर मे जब दुनिया नदारद
लोगों ने दोस्त बनकर इम्तिहान लिया तवज्जो नहीं दी तो परेशान किया सोचते थे कि
आज अचानक से कोई घबराहट है पता नहीं क्यों मायूसी की आहट है मैं तो
मैं निर्मोही हो चला हूँ जीवन की समस्त यातनाओं का वृतांत सुनाने, मैं अपनी भाव
इस ज़माने की गर्द से हीरा तराशा है एक तेरी रूह सच है बाकी सब
कोई शिकन भी माथे पर ठहरती नहीं कभी तो कोई दाग दामन पर रहा होगा
मिरे तकिये मे कई रातें बिखरती हैं लब ग़ुलाम हैं और शिकायतें सुलगती है पूरे