कुछ अशआर दिल से…
सजे उस बाग में मेरे दिल की क्यारीजहां तेरे कदमों की आहट पड़ी हो महज
सजे उस बाग में मेरे दिल की क्यारीजहां तेरे कदमों की आहट पड़ी हो महज
मैं इंतज़ार में हूँ कब ये सर्द फ़िज़ाएं जिस्म को गलाने लगेंगीमेरे लिए तेरा एहसास
झूठ की धुंध में बिखर गएकई मौकों में हम बिगड़ गए तन्हाई में सांसें भी
दरख्तों का फूल पत्तियां गिराना बुरा लगता हैअपनों का नज़रें फिराना बुरा लगता है जब
क्या रखा है बाहर, सब अंदर ही तो हैसैलाब आ गया तो क्या हुआ, समंदर
व्यक्ति का हृदय व्याकुल है, प्रेम में धोखा, विश्वासघात के कारण उसके हृदय से ये