रात्रि कोष से निकला
एक अप्रतिम उपहार
जाने किस सहजता में
अपनी शीतलता का
पूरे विश्व में
सम्प्रेषण करता है,
आकाश के घने तिमिर को
अपनी एक छोटी सी लौ से
पछाड़ता हुआ प्रकाश-पथ पर अग्रसर है,
वो मेरा खोया हुआ चाँद है,
जो कहीं अमावस में चला गया था
कभी चौथ का चाँद बनकर
गगन का मुकुट बन जाता है
कभी पूनम की रात में
गोलाकार प्रकाश पुंज
सीखा मैंने चाँद से मुस्कुराना
सीखा मैंने चाँद से
अँधेरे आकाश को चुनौती देना
किसी झुलसती गर्मी के दिनों को
ठंडक प्रदान करता है
मेरे रात का चाँद
वो चाँद खोया नहीं
बस थोड़े दिन के लिए
अनुपस्थित रहता है
चाँद हर जगह है, कविताओं में चाँद,
शायरी में चाँद,
बच्चों को बहलाने का खिलौना चाँद,
सूरज से उसका तेज लेता चाँद,
मेरे पास रहता है रोज़ मेरा चाँद