महाकुंभ 2025: आस्था, तपस्या और अद्भुत यात्रा का अनुभव

Mahakumbh 2025

महाकुंभ की पावन धरा पर, माँ गंगा के निर्मल जल में डुबकी लगाकर ऐसा लगा मानो जीवन का हर कण पवित्र हो गया हो। वंदे भारत में आने और जाने का टिकट मिलना किसी ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं था…. सच में, माँ गंगा ने ही बुलाया था।

02252 वंदे भारत स्पेशल ट्रेन, जो सिर्फ तीन दिन (15, 16 और 17 फरवरी) के लिए संचालित हुई, उसमें 15 फरवरी का ही कन्फर्म टिकट मिलना एक बेहद सुखद संयोग था। दोपहर 12 बजे प्रयागराज जंक्शन पहुँचना और शाम 5 बजे वापस उसी स्टेशन पर लौटना, मानो एक महान तपस्या को सफल करने जैसा था। लगभग 20 घंटों में कुम्भ जाकर स्नान करके वापस आना हमारी सक्रियता और ईश्वर की विशेष कृपा के कारण संभव हो पाया।

जो श्रद्धालु महाकुंभ मेले में आना चाहते हैं, उन्हें कम से कम 10-15 किलोमीटर पैदल यात्रा करने और भारी भीड़ में मशक्कत के साथ आगे बढ़कर पवित्र स्नान करने की हिम्मत जुटानी होगी। रास्ते में बैटरी रिक्शा, बाइक और ठेले मिल सकते हैं, लेकिन जाम और बैरिकेडिंग के कारण पैदल चलना ही अधिक सुविधाजनक लगेगा। साथ ही, इन साधनों के लिए अतिरिक्त खर्च भी करना होगा। यात्रा के दौरान, आपको कम से कम 4 किलोमीटर तो पैदल चलना ही पड़ेगा।

सुझाव: घर से भोजन और पानी साथ लेकर आएं, यह अधिक सुविधाजनक होगा। घाट के नजदीक सभी सामान काफी महंगे मिल रहे हैं। उदाहरण के लिए, गंगाजल भरने वाला 5-लीटर प्लास्टिक का केन, जो सामान्यतः 20-30 रुपये में मिलता है, संगम घाट के पास 100 रुपये में मिला। अगरबत्ती जलाने के लिए 1 रुपये की माचिस यहाँ 5 रुपये में मिली। ये कुछ उदाहरण हैं, जिनसे आपको खर्चे का अंदाजा हो सकता है।

योगी सरकार ने मेले और रेलवे स्टेशन पर बेहतरीन व्यवस्था की है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस प्रशासन की सक्रियता और उनकी सहयोग भावना अत्यंत सराहनीय है। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए विश्रामालय और RPF द्वारा दी जा रही स्पष्ट जानकारी भी प्रशंसनीय है।

गंगा मैया की कृपा से पवित्र स्नान संपन्न हुआ, यात्रा के सभी कष्ट दूर हो गए, मन प्रसन्न है… तपस्या पूरी हुई। महाकुंभ की इस पावन यात्रा में मेरी धर्मपत्नी और मेरे मित्र राहुल कपूर भी मेरे साथ रहे, जिनके संग इस आध्यात्मिक अनुभव को साझा करना और भी विशेष बन गया।

हर हर गंगे!

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सांझी बात एक विमर्श बूटी है जीवन के विभिन्न आयामों और परिस्थितियों की। अवलोकन कीजिए, मंथन कीजिए और रस लीजिए वृहत्तर अनुभवों का अपने आस पास।

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