झूठ की धुंध में बिखर गए
कई मौकों में हम बिगड़ गए
तन्हाई में सांसें भी लाचार होंगी
ग़मों के राज़ भी उभर गए
मोहब्बत और दोस्ती बेमानी है
संवरने की चाहत में सिहर गए
सड़क पर कांटे भी बिछे होते हैं
रास्तों के फेरों में उलझ गए
ज़िदगी कुछ सुकून देगी ऐसा लगता है
इसी उम्मीद में लम्हे गुजर गए।