पहले लगता था कि कोई नाराज़ है
यकीन मानो अब कोई फर्क नहीं पड़ता।
दिल के दरवाजों में अब कुण्डी लगा दी है
अब कोई कितना भी खटखटाए फर्क नहीं पड़ता।
मैंने पुरजोर कोशिशें की खुशी देने की
बदले में चोट मिली, फर्क नहीं पड़ता।
तहज़ीब तो अब जैसे किताबों में रह गई
बदतमीजी से किसी की अब फर्क नहीं पड़ता।
हम तो सबका साथ निभाने वाले लोग हैं
मतलबी रिश्तों से अब कोई फर्क नहीं पड़ता।
मोहब्बत तो अब नाम की भी नहीं रह गई
अब किसी कि गालियों से फर्क नहीं पड़ता।
तुमने अपनी परवरिश का सही दीदार कराया है
तुम्हारे नकली आंसुओं से फर्क नहीं पड़ता।
सुधरोगे तो शायद आने वाला कल सही होगा
बिगड़े ही रहोगे तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।