दिनांक: शनिवार, 10 मई, 2025
यात्रा साथी: धर्मपत्नी और पुत्र परीक्षित
श्री कैंची धाम, उत्तराखंड की पहाड़ियों में बसा एक पवित्र स्थल है जहाँ बाबा नीब करौरी जी महाराज ने साधना की थी। इस दिव्य स्थान की यात्रा का सौभाग्य हमें 10 मई को प्राप्त हुआ।
दिल्ली से काठगोदाम तक का सफर
हमने सुबह 6:20 बजे नई दिल्ली से चलने वाली काठगोदाम शताब्दी एक्सप्रेस (12040) ली, जो लगभग दोपहर 12 बजे काठगोदाम स्टेशन पहुँची। दिनभर के समय का सदुपयोग करने के लिए मैं प्रायः सुबह या रात की ट्रेन से यात्रा करना पसंद करता हूँ।
काठगोदाम से कैंची धाम
काठगोदाम से हमने एक छोटी टैक्सी (Alto) ली, जिसने एक घंटे में कैंची धाम पहुँचा दिया। आश्रम के प्रवेश से पहले हमने पास की दुकान से प्रसाद (लड्डू) और कंबल लिया, जिसे बाबा को चढ़ाना शुभ माना जाता है।
बाबा नीब करौरी धाम का अनुभव
पहाड़ों के बीच बसे इस आश्रम का वातावरण अत्यंत शांत, दिव्य और हरियाली से भरा हुआ है। पास से बहती शिप्रा नदी की मधुर ध्वनि मन को गहराई से शांति प्रदान करती है। मंदिर परिसर में विराजमान हनुमान जी महाराज की मूर्ति अत्यंत भव्य है। ऐसा माना जाता है कि बाबा स्वयं हनुमान जी के अवतार थे और सच्चे मन से माँगी गई प्रार्थना को वे पूर्ण करते हैं।

ठहराव: Krishanleela Homestay
रात के लिए हमने Krishanleela Homestay में रुकने की व्यवस्था की, जो आश्रम से लगभग 600-700 मीटर की दूरी पर स्थित है। पहाड़ियों के बीच स्थित यह होमस्टे प्रकृति की गोद में बसा है, जहाँ से नदी पास से गुजरती है।
रात्रिभोजन में चावल, दाल, रोटी, सब्ज़ी, सलाद और चटनी मिला – साधारण लेकिन बहुत स्वादिष्ट भोजन।
होमस्टे के मालिक और उनका परिवार बहुत ही मिलनसार और सहयोगी था, जिससे अनुभव और भी सुखद हो गया।

पहाड़ों का जीवन: सादगी में छिपा संघर्ष और आत्मनिर्भरता
पहाड़ों में रहने वाले लोग अत्यंत मेहनती और आत्मनिर्भर होते हैं। जहाँ हमारे जैसे शहरों या मैदानी इलाकों में ज़रूरत का हर सामान घर के पास की मार्केट में आसानी से मिल जाता है, वहीं पहाड़ी लोगों का जीवन इन सुविधाओं से काफी दूर होता है। वहाँ अधिकांश परिवार अपनी ज़रूरत की सब्ज़ियाँ, फल, और यहां तक कि कुछ राशन सामग्री भी स्वयं उगाते हैं। कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ, सीमित संसाधन और दूर-दूर बसे पड़ोसी – ये सभी जीवन को चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। फिर भी, इन सबके बीच वे सादगी, संतोष और प्रकृति के साथ सामंजस्य में जीते हैं, जो हमें बहुत कुछ सिखाता है।

अगला दिन: नैनीताल दर्शन
सुबह कैंची धाम की आरती में शामिल होकर हमने नैनीताल की ओर स्कूटी से प्रस्थान किया। मुझे टू-व्हीलर से सफर अधिक सहज लगता है, क्योंकि ट्रैफिक कम होता है और सफर में मतली (उल्टी) की संभावना भी कम रहती है।
नैनीताल में, सबसे पहले नयना देवी मंदिर के दर्शन किए। मंदिर परिसर रंग-बिरंगे फूलों से सजा हुआ था, और हनुमान जी की मूर्ति भी दर्शनीय थी। इसके बाद हमने नैनी झील में नौका विहार किया, जो मेरे बेटे और पत्नी के लिए पहली बार का अनुभव था – वे दोनों बेहद उत्साहित थे।

वापसी यात्रा
नैनीताल से टैक्सी लेकर हम काठगोदाम स्टेशन लौटे, जहाँ से दोपहर 3:10 बजे नई दिल्ली शताब्दी (12039) पकड़ी। ट्रेन में ही नाश्ता और रात्रिभोज मिला, और हम रात 10 बजे अपने घर पहुँच गए।
समापन विचार
यह यात्रा आध्यात्मिक ऊर्जा, प्राकृतिक सौंदर्य और पारिवारिक जुड़ाव से भरपूर थी। श्री कैंची धाम और नैनीताल की यह सप्ताहांत यात्रा हमारे जीवन के सबसे यादगार अनुभवों में से एक रही।