व्यक्ति का हृदय व्याकुल है, प्रेम में धोखा, विश्वासघात के कारण उसके हृदय से ये शब्द निकले
गुस्सा नहीं बस हैरान हूं
तेरी हरकतों से परेशान हूं
यूं बात बात पर झगड़ना
क्या वजह है अंजान हूं
तुम्हे ही दर्द हो ऐसा नहीं है
मैं भी एक इंसान हूं
ये घर था जब दोनो साथ थे
अब टूटा हुआ मकान हूं
धोखे से उबरकर एक नया आरंभ
फिर समय के साथ व्यक्ति की समझ बढ़ी और उसने अनुभव किया कि किसी को दोष देने से लाभ नहीं। उसने अपने आप पर काम किया और अपने व्यक्तित्व को निखारा। अब केवल उसे अपने आप पर विश्वास है जिसके कारण उसके जीवन में सब अच्छा हो रहा है। वो हर दिन और हर स्थिति के लिए परमात्मा का धन्यवाद करता है, अब उसके मन में नई आशा का संचार हो गया है। उसी स्थिति को वर्णन करती कुछ नई पंक्तियां है।
मैं जिंदगी का एक नया मुकाम हूं
बढ़ते समय के साथ स्वयं का कल्याण हूं
मैं अब स्वयं से प्रेम करता हूं
तथा ईश्वर का वरदान हूं
एक गहरी खामोशी के बीच
मैं खिलखिलाती हुई मुस्कान हूं
मुश्किलों और चोट से घबराता नहीं
मैं जीती जागती शक्ति और प्राण हूं
जीवन में बहुत से पड़ाव आते रहेंगे
किंतु मैं लक्ष्य के प्रति सावधान हूं
विजय मेरी निश्चित है और संघर्ष मजबूत है
मैं कोमल पुष्प और कठोर चट्टान हूं
मैं कौन हूं, क्या हूं, और जीवन में क्यों आया
मैं आत्मा हूं, जागृति हूं, शक्ति का संस्थान हूं
अब केवल आशा और प्रसन्नता है जीवन में
मैं एक सार्थक मन और जीवन का ध्यान हूं
~ राजेश बलूनी प्रतिबिंब