बचपन, मिट्टी और गाँव – हमारी विरासत जो धुंधली होती जा रही है
बच्चों की अच्छी पढ़ाई, बेहतर सुविधाओं और रोज़ी-रोज़गार के प्रति आसक्त होकर, गाँव अब शहरों
बच्चों की अच्छी पढ़ाई, बेहतर सुविधाओं और रोज़ी-रोज़गार के प्रति आसक्त होकर, गाँव अब शहरों
बचपन में कभी सुना था कि वसंत का मौसम जो है मौसमों का राजा है,
आपकी बहुत याद आती है। हमेशा लगता है कि कहीं गए हैं, अभी लौट आएंगे।
दिनांक: शनिवार, 10 मई, 2025यात्रा साथी: धर्मपत्नी और पुत्र परीक्षित श्री कैंची धाम, उत्तराखंड की
सजे उस बाग में मेरे दिल की क्यारीजहां तेरे कदमों की आहट पड़ी हो महज
पिछले कुछ वर्षों में लोगों की व्यवहारिकता और सामाजिकता में जितनी तेजी से बदलाव आया
मैं इंतज़ार में हूँ कब ये सर्द फ़िज़ाएं जिस्म को गलाने लगेंगीमेरे लिए तेरा एहसास
महाकुंभ की पावन धरा पर, माँ गंगा के निर्मल जल में डुबकी लगाकर ऐसा लगा
झूठ की धुंध में बिखर गएकई मौकों में हम बिगड़ गए तन्हाई में सांसें भी
दरख्तों का फूल पत्तियां गिराना बुरा लगता हैअपनों का नज़रें फिराना बुरा लगता है जब