आज अचानक से कोई घबराहट है
पता नहीं क्यों मायूसी की आहट है
मैं तो अनजान हूँ दुनिया के चोंचलों से
बस उम्मीदों के बोझ से शिकायत है
कई सवालों से ज़हन में कश्मकश है
जाने किस बेचैनी की सुगबुगाहट है
सोचा था कि मिलने से खुशनसीबी होगी
पर ये तूफ़ान के पहले की सरसराहट है
ज़िन्दगी बड़ी ही सुस्त हो रही है
सदियों के इंतज़ार की जो थकावट है
मैं कोशिश में हूँ कि सब अच्छा हो जाए
पर कहीं किसी कोने में कड़वाहट है
अकेलेपन की जुस्तजू में भीड़ से हट गए
पर वहां भी तन्हाई में होती मिलावट है
ऊंचे ख्वाब का मचान फिसल तो नहीं जाएगा
क्या इसीलिए उसमे इतनी गिरावट है
सूरत तो सामने वही रहती है सबकी
पर सीरत की कहाँ से होती दिखावट है