दिल के कोने में कुछ एहसास आज भी बाकी है
कुछ ख्वाबों के मुकम्मल होने की तलाश आज भी बाकी है
कुछ बातें तो अनकही और कुछ कहकर भी अधूरी हैं
उन बातों का सिलसिला आज भी बाकी है
रात में बदलती हुई करवटों के बीच ही सही
पलकों के चिलमन में समाए कुछ ख़्वाब आज भी बाकी है
उम्र के बदलते पड़ाव पर ज़िम्मेदारियों के जो पहलू हैं
उनसे मांगकर कुछ वक्त उधार,
बचकानी उलझनों को जीना आज भी बाकी है
कुछ कहे अनकहे एहसासों के एहसास से
दिल का संभल पाना आज भी बाकी है
अपने तो बहुत हैं इस बात से कब इंकार है
मगर कुछ अपनों में अपनापन ढूंढ पाना आज भी बाकी है
वैसे तो है हम तनहा लाखों की भीड़ में भी
पर तनहाई में खुद को तलाश पाना आज भी बाकी है
दिल के कोने में कुछ एहसास आज भी बाकी है
~ निशा बलूनी