ये ज़िन्दगी किसी मुकाम से कम नहीं है
मैं इंतज़ार में हूँ कब ये सर्द फ़िज़ाएं जिस्म को गलाने लगेंगीमेरे लिए तेरा एहसास
मैं इंतज़ार में हूँ कब ये सर्द फ़िज़ाएं जिस्म को गलाने लगेंगीमेरे लिए तेरा एहसास
महाकुंभ की पावन धरा पर, माँ गंगा के निर्मल जल में डुबकी लगाकर ऐसा लगा