तर्पण
श्रद्धा के सुसज्जित सौरभ से गुंजायमान उनके आशीष की कीर्ति का कोई विकल्प नहीं। शाश्वत
व्यक्ति का हृदय व्याकुल है, प्रेम में धोखा, विश्वासघात के कारण उसके हृदय से ये
रोज सुबह घर से बेमन निकलता हूं गाड़ियों के धुएं और धूप में झुलसता हूं
दिल के कोने में कुछ एहसास आज भी बाकी है कुछ ख्वाबों के मुकम्मल होने
मिली है जो ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है, ख्वाहिशों से भरी हमारे दिल की मासूमियत है,