जिंदगी पेचीदा है, शहर बज़्म से सजा है
जिंदगी पेचीदा है, शहर बज़्म से सजा है मेरे रुआब में कोई गर्द सा सटा
जिंदगी पेचीदा है, शहर बज़्म से सजा है मेरे रुआब में कोई गर्द सा सटा
कभी अपनी धुन में कभी बेपरवाह रहता हूं मैं परिंदों सा उड़ने का हौसला रखता