धड़कने बयां करती है ज़िन्दगी की किश्तें
धड़कने बयां करती है ज़िन्दगी की किश्तें सांसों का गुच्छा अब टूट रहा है आगजनी
धड़कने बयां करती है ज़िन्दगी की किश्तें सांसों का गुच्छा अब टूट रहा है आगजनी
सांप से ही दोस्ती पाली थी हमने चांवल की बोरी में धंसकर मरोगे जिरह क्या
रोज़ देखता हूँ आसपास तो सवालों से भरे चेहरे परेशां करते हैं वही बेचैनी, वही
समर्थ व्यक्ति वो नहीं जिसके पास अपार धन और वैभव है बल्कि समर्थ वो है
मेरा नूर जब भी मुझसे नाराज़ होता है, हमेशा मैं उसे मनाऊं यही सोचता है,
होश खो रहे हैं हम उनको कुछ फ़िक्र नहीं है क्या प्यार है ये, या
जिनके कदमों ने हिम्मत की है बढ़ने की फिर मंजिलों के निशान मिल ही जाते
दुनिया से लड़ता हूँ लेकिन, खुद के दिल को कैसे मनाऊं बेगानी रूखी रातों में,
जब आप संकल्प लेते हैं तो आप आधी जीत तभी पूरी कर लेते हैं और