सांसें उखड़ रही है… भाग -1
सांसे उखड़ रही है वक्त से पहले उम्र भी पहले ही खत्म हो रही है
सांसे उखड़ रही है वक्त से पहले उम्र भी पहले ही खत्म हो रही है
वो ठिठुरता हुआ कूड़ा बीनता है सर्दी में उसे पता है कि भूख सर्दी से
कौन से शहर का तू बाशिंदा है मेरे घर में तो आजकल दंगा है बस
यूं किसकी फिराक में रहता है दिल रूह से रूबरू होता तो बाहर नहीं भटकता
दोस्तों मैं कुन्दन उर्फ जय आपको आज अपनी अभी तक की जीवन यात्रा के बारे
मुश्किलों से भरी राहों को पार करके दृढ संकल्प की सीमा को तैयार करके गतिशील
साल 2021 आ चुका है…यह साल हम सबके लिए कैसा होगा यह भविष्य के गर्भ