सुन रहे हो तुम?
सुन रहे हो तुम? उन सूखी पत्तियों की सरसराहट जो बसंती बयार का इंतज़ार करते
सुन रहे हो तुम? उन सूखी पत्तियों की सरसराहट जो बसंती बयार का इंतज़ार करते
रब ने दिया है सबको बराबर मौका वो इंसान पर है कि कैसे ज़िन्दगी सँवारे