लापरवाह
मैंने तो सिर्फ तुझे जीने की हिदायतें दी थी मेरा डांटना तेरे लिए कोई ज़हर
संभलना जरा उस से नजरें बचाकर कहीं बेवकूफ ना बना दे खूबसूरती दिखा कर आंखों
ये क्या प्रतिकूल परिस्थितियां है मेरे जीवन में, कहीं भी स्वतंत्रता का भान नहीं, बस