सुन रहे हो तुम?
सुन रहे हो तुम? उन सूखी पत्तियों की सरसराहट जो बसंती बयार का इंतज़ार करते
सुन रहे हो तुम? उन सूखी पत्तियों की सरसराहट जो बसंती बयार का इंतज़ार करते
रब ने दिया है सबको बराबर मौका वो इंसान पर है कि कैसे ज़िन्दगी सँवारे
जिस व्यक्ति के अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति पैदा हो जाती है वह कठिन से कठिन
उसे सामने देखकर लफ़्ज़ रुक गए ख्वाबों में तो कितना बतियाते थे कभी गौर नहीं
होती है खामोशी जब खता अपनी हो इल्ज़ाम दूसरों पर हो तो हंगामा होता है
संभलना जरा उस से नजरें बचाकर कहीं बेवकूफ ना बना दे खूबसूरती दिखा कर आंखों
ये क्या प्रतिकूल परिस्थितियां है मेरे जीवन में, कहीं भी स्वतंत्रता का भान नहीं, बस
खाक बड़ा था ये समंदर भी एक बूंद भी तिश्नगी इस से नहीं बुझी बढ़ाए
सांसें उखड़ रही रही हैं जिंदगी उजड़ रही हैं ना पैसे का रूवाब है ना