उम्मीद की लौ एक नया दीया जलाती है
कभी कुछ सोंचूं तो याद बह जाती है मेरे सिरहाने में आने से नींद कतराती
कभी कुछ सोंचूं तो याद बह जाती है मेरे सिरहाने में आने से नींद कतराती
ये धूप चटक होती है यूं सर्द गरम होती है अब शाम की फुहारों में
Lockdown में सभी व्यक्तियों को घर मे रहना है और कोरोना महामारी को भारत से
बिखरा – बिखरा सब हिल गया है टुकड़ा टुकड़ा मेरा दिल हुआ है सपनो के