इतने दिनों के बाद
कुछ अधपकी उम्मीदों को हथेली में रखकर आया है इस गली में कोई इतने दिनों
कुछ अधपकी उम्मीदों को हथेली में रखकर आया है इस गली में कोई इतने दिनों
मेरी आवाज दरिया में खो सी गई है अँधेरे में रोशनी भी सो सी गई
बहुत दिनों बाद मिला अपनी कविता से, उससे वार्तालाप हुई तत्पश्चात उसको मन के सूक्ष्म
यह बात पूर्णतः सत्य है कि वास्तविक भारत गाँव में बसता है। मगर जिस तरह